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डर : एक खौफनाक एहसास ep 14

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बिजली ने बनी हुई आँचल ने हवा में अपना हाथ लहराया और हाथ हिलाते ही एक चिंगारी उत्पन्न हुई। इसी के साथ हर एक सदस्य अलग अलग दुनियाँ में जा पहुंचे।

डर की इस दुनियां में सभी या तो अपनी सबसे बुरी आदत से रूबरू हो रहे थे या फिर जिस चीज से वे सबसे ज्यादा डरते थे। लाख कोशिशों के बाबजूद भी सभी वहां से निकलने में असक्षम थे।

धीरे धीरे सभी की मुट्ठियां अपने आप बंद होने लगी और साथ ही साथ उनके जबड़े भींचने लगे। उन सभी के चेहरों पर डर साफ दिखाई दे रहा था। वे चिल्लाना चाहते थे परन्तु जबड़े भींचने के कारण उनके मुंह से हवा तक भी नही निकल पा रही थी। उनकी हालत देखकर ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उनके होठों को सिल दिया हो।

इस वक्त सभी अपनी अपनी डर की दुनियां में कैद थे। डर की वह दुनियां जो उन्हें उनकी गलत आदतों और उनके डर से रूबरू करा रही थी। वें सभी लगभग साढ़े गयारह बजे तक उसी काल्पनिक दुनिया में रहे, पर जब तक वें उस काल्पनिक दुनिया में रहे वहाँ का एक एक पल उनके लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक और भयावह रहा। जब वें लोग अपनी कल्पनाओं की दुनिया से बाहर आए तो सामने का दृश्य देखकर उन लोगों की आँखे खुली की खुली रह गई क्योंकि वह आत्मा अब पहले से भी कई गुना ज्यादा भयानक और शक्तिशाली हो चुकी थी। उसके शरीर से निकल रही तरंगों की वजह से पूरा हॉल लाल प्रकाश में नहा चुका था जोकि अँधेरे की वजह से बहुत ही ज्यादा खतरनाक लग रहा था। उन लोगों के बढ़ते हुए डर की वजह से उस आत्मा की शक्तियों में तेजी से इजाफा हो रहा था।

“साढ़े ग्यारह बज चुके है।” शुभम ने घड़ी की ओर देखते हुए कहा। एक साथ की नजर उस ओर चली गई।

“अभी तक भी तांत्रिक नही आए।” वरदान ने कहा। उसकी आवाज में चिन्ता और डर साफ साफ महसूस किया जा सकता था।

“अब हम सबकी मौत पक्की है।” राजू ने लगभग रोते हुए कहा।

“उधर देखो।” अमन ने आत्मा की तरफ इशारा करते हुए कहा। सभी एक साथ उस दिशा में देखने लगे।

आत्मा ने अपने दोनों हाथ सिर के ऊपर ले गई। उसके दोनों हाथों के बीच बनी हुई जगह में चिंगारी उत्पन्न होने लगी। वह चिंगारी धीरे धीरे गोले में तब्दील होने लगी। वह गोला आत्मा के हाथों के बीच से निकल कर उसके सामने का पहुंचा। सभी ऊपर गर्दन करके टकटकी लगाएं हुए कभी गोले को देखते तो कभी आत्मा को। उस गोले में उन सभी को साक्षात अपनी मौत के दर्शन हो रहे थे। वह गोला धीरे धीरे आकार में बढ़ रहा था।

गलती से अगर वह गोला किसी के पास से भी होकर गुजर जाता तो वह इंसान वही राख के ढ़ेर में तब्दील हो जाता। गोले के पूरा होते ही आत्मा ने उसे सभी के ऊपर छोड़ दिया। वह गोला बड़ी तेजी के साथ एरिना के सदस्यों की ओर आने लगा। एक तरफ उन सभी की मौत ठीक उनके सामने थी, वही दूसरी ओर बारह बजने वाले थे। बारह बजने के बाद कोई भी उस आत्मा पर काबू नही कर सकता था।

कोई चमत्कार ही उन सभी को बचा सकता था। डर के मारे सभी की आँखें बंद हो गई। थोडी देर बाद जब सभी ने हल्के से आँखें खोली थी वह गोला हवा में घुल कर गायब हो गया।

“वहां देखो।” वरदान ने कहा। सभी एक साथ आत्मा की ओर देखने लगे। जिस प्रक्रम में वह बनी थी उसी प्रक्रम में वह मिट भी रही थी और आखिर में हवा में कही गायब हो गई। धीरे धीरे आस पास का वातावरण सही होने लगा। सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो गया।

“ये अचानक से कौन सा चमत्कार हुआ?” शुभम ने सिर खुजाते हुए पूछा।

कोई जवाब दे पाता उस से पहले ही सभी तांत्रिक वहां पर आ गए। उन्हें देखकर सभी सदस्य पूरा माजरा समझ गए।

“ये आपने कैसे किया?” मनोज ने तांत्रिकों के आते ही पूछा।

“और आँचल का शरीर आपको कहाँ मिला?” इस बार आशु ने पूछा।

कोई आगे कुछ पूछ पाता उस से पहले ही अतुल बोल पड़ा। “हमने शरीर को हर जगह ढूंढा पर हमें कही पर भी नही मिला। यहां तक की हमने शरीर ढूंढने के लिए तंत्र मंत्र का प्रयोग भी किया परंतु हमें शरीर कही भी नही मिला।” कहकर वह चुप हो गया।

“तभी मुझे याद आया कि एक जगह है जो हमने नही देखी और वह जगह थी एरिना ऑफिस का गैराज।” देवेंद्र ने जवाब दिया।

“देवेंद्र के बताते ही हम सीधा वही पहुंच गए। पर हमें शरीर वहां पर भी नही मिला। धीरे धीरे रेत की तरह वक्त हमारी मुट्ठी से फिसल रहा था। पर कहते है हड़बड़ाहट में सामने रखी हुई चीज पर भी ध्यान नही जाता। वही हमारे साथ हुआ। शरीर ठीक हमारी आंखों के सामने ही था।” पहाड़ी रुका और फिर आगे बोला।।“हमारे पास इतना वक्त नही था की हम यहां तक आ पाते इसलिए सब काम वही कर लिए और वक्त रहते हुए हम सफल भी हो गए।

“अब वह चुड़ैल कहां है?” अमन ने पूछा और फिर इधर उधर देखने लगा। सभी उसे ही घूर रहे थे। वह खुद की कही हुई बात को सही करते हुए बोला। “मेरा मतलब अब आँचल कहां है? अब तो सब कुछ सही हो चुका है।” अपनी बात पूरी करते ही अमन ने दांत दिखाने शुरू कर दिए।

“इसका कुछ नही हो सकता।” मनोज ने अमन को तिरछी निगाहों से घूरते हुए कहा।

“मेरी छुटकी कहां है? कोई बताएगा भी।” शबा ने अपनी बात पर जोर देते हुए पूछा।

“अमन बीच में ना बोलता तो मै बता ही रहा था कि आँचल इस वक्त कहां है।” अतुल ने कहा और फिर आगे बोला। “इतने दिन शरीर से बाहर रहने के बाद कुछ वक्त तो लगता ही है। हमने उसे ऑफिस में ला कर लेता दिया था। उस वक्त वह बेहोश थी। आँखें खुलते ही वह खुद यहां पर आ जाएगी।”

“एक बात और।” देवेंद्र ने कहा और फिर आगे बोला। “इस वक्त उसकी हालत सही नही है और ना ही उसे बीते दिनों की कोई भी घटना याद है। कोई भी उससे इस बारे में सवाल जवाब नही करेगा।” देवेंद्र ने चेतावनी देते हुए कहा।

अमन कुछ कहने की वाला था की उस से पहले ही सभी को किसी की आवाज सुनाई दी। एक साथ सभी की नजर उस दिशा में चली गई।

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कहानी जारी रहेगी अगले भाग में.....!

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12 Comments

Gunjan Kamal

31-Mar-2022 09:54 AM

👏👌🙏🏻

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Milind salve

09-Dec-2021 07:15 PM

Good

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Hayati ansari

29-Nov-2021 08:33 AM

Bhut badhiya

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